"गुजारिश मुस्कराहट की"
उन लम्हों की यादों में,
हम रातों को जवान बना दें,
चाहत मैं उनकी
हम हर गम को भुला दें.
न वादा न इकरार.......
इक्क बार मुस्कुरा के तो दिखा दें
उनकी हंसीं के लिए हम खुदा को भुला दें !!!
तमन्ना -ऐ-इकरार मचल जाए
अगर वो आने का वादा कर दें....!!
आसमान -ऐ- इश्क में ,
हवाओं का रुख बदल दें ...
बात न सही ,
वादा ही कर दें
उसी के सहारे हम ज़िन्दगी बिता दें !!!
काश के उन्होंने
मुड़कर उस कदर देखा न होता,
वो कातिलाना पल्लू सहराया न होता ,
जो वो जुल्फों को बिखरा दें हम तूफानों को भुला दें !!
उनकी हंसीं के लिए
हम खुदा को भुला दें.................. !!!
कह दे कोई उन्हें
हमें परेशान न किया करें ,,
तनहाइयों का आलम है ,, यादें न बना करें !!
इश्क होता नहीं कर किसी से...
पलक झपककर कभी ,,,
गली की इस नुक्कड़ को भी देखा करें !!
बात न सही,
वादा न सही
खुदा के लिए , मुस्कुराया तो करें............. !!!
खौफ हमें वफ़ा का नहीं ,
इधर तो तनहाइयों का आलम है ...
हाल जो यह दिल का है ॥
कोई बता न दे उन्हें कहीं !!
जिगर से तो न लग सके,,, नज़र से गुम् जाने का आलम है !!!
इधर तो ...............बेवफ़ाइयों का आलम है.......!!!!
मोहल्ले की चौखट से गुजरते गुजरते,
पलकें न झुकाया करें ,
हाल ये दिल का ऐसा न होता
कोई कह दे उन्हें,,,
इस कदर शरमाया न करें,,,,,,,,
उनकी हंसीं के लिए हम खुदा को भुला दें ......
के वो मुस्कुराया तो करें !!! मुस्कुराया तो करें !!!!