Friday, October 29, 2010

मालूम नहीं



दिया जलाते-जलाते जल गई उंगलियाँ कब , मालूम नहीं
खाव्ब में क्या आए वो आज, हो गई सहर कब, मालूम नहीं....!!!
(सहर- morning time)

दौर गुज़र गया वो जब मुलाकात के बहाने ढूंढता था
तुझसे मिलकर कहूँगा क्या, किया है इंतज़ार कितना , मालूम नहीं ???

लाख झूठ कहे होंगे तुमने, एक और सही.
मेरे नाम का ज़िक्र हुआ महफ़िल में अगर, तो कह देना मालूम नही.....

इकक घूँट और पी लेने दे साकी आज चैन से,
किसी और रोज़ करेंगे हिसाब , कितनी पी शराब, आज मालूम नहीं

ना दिल में रही कोई उम्मीद , ना तुम्हारे जबाव का इंतज़ार कहीं,
जानता हू तुम कहोगी फिर वही, मालूम नहीं.......!!

खुदा तेरे इरफ़ान पर जिंदा है दुनिया , तेरी असलियत मगर कोई जानता नहीं
पूछा किसी ने उलफत का अंजाम तो कह दिया, मालूम नहीं ???
(इरफ़ान- cleverness; उलफत- love)

साकी तू ही बता मेरा कल, खुदा में तो अपना भरोसा नहीं,
पूछे कोई वाइज़ से उसका मुताकबल,तो कहेगा वो भी , मालूम नहीं
(मुताकबल- future)

उम्र भर लगा रहा "प्रेम" तेरे घर का रास्ता खोजने
हश्र ये के अब अपने घर का भी रास्ता मालूम नहीं.......
मालूम नहीं,,,,,मालूम नहीं ..... !!!