संदेसा उनके नाम !!
गुनाहगार कहें लोगों से , हमें, वो अगर
कोई गम नहीं।
बेदर्द दिल को खंजर से मारें, खरोंचें वो अगर
कोई गम नहीं।
मोहोब्बत का नाम बेईज्ज़त न करें,
हमें चाहे सूली पर चढा दें वो अगर,
कोई गम नहीं................ !!
इकरार न किया करें वो अगर,
शरमा के नज़रें न झुकाया करें वो अगर,
बेचैन निगाहों में, बहें ना अश्क,
अश्कों में धुली आंखों में आँखें डाल,
दीदार तो करें वो अगर.......... !!
खामोशी बनी मेहरबां,
सूनापन बना मोहताज़,
जज्बात को काबू में रखें तो हम मगर,
वो यादों में मासूमियत दिखाया न करें,,
बेकरारी खत्म करें अब हम,
तरसती निगाहों पर तरस खाएं वो अगर.......... !!!
यादों की दस्तक से हो गया परेशान,
चंद नई यादें बनाने आयें वो अगर,
कहते हैं लोग , लैला और मजनू, नई दास्ताँ लिखें, जो वो गुनगुनाएं तो अगर .............. !!
मर ही गए होते तेरे चाहने वाले,
मर ही गए होते तेरे चाहने वाले...... जो पल्लू सरकता सरकता , कंधे से नीचे , गिरता जो अगर,
फनकार बन गए होते, जहाँ-ऐ-इश्क में, मिलने का मौका दिया होता जो अगर।
अंधेरों मैं भटकने के हम न होते कायल,
बेखुदी वो इक बार समझे होते वो अगर............ !!