बेवफाई मिली है
महफिलों में रहते थे कभी ,
आज जुदाई मिली है....
मोहोबत करके एक बेवफा से,
बेवफाई मिली है |
गम इस जुदाई का नहीं,
न उनकी रुसवाई का गम है |
काश न मिले होते उन्हें कभी,
के मुझे तन्हाई मिली है|
करके मोहोबत इक बेवफा से,
बेवफाई मिली है |
रातों को जवा होते देखता हूँ,
(गौर फरमायें)
रातों को जवा होते देखता हूँ,
के वो चाँद सी दिखती है !!!!
ज़माना वो भी था,
जब हाथों में हाथ होते थे,
के अब तो मोहोबत के पनघट पे ,
तन्हाई मिलती है |
वकत की मार है,
और कुछ नहीं |
पहले तस्वीर में उनकी ,,,,,,शराब नज़र आती थी......
पहले तस्वीर में उनकी ,शराब नज़र आती थी
अब शराब में, तस्वीर उनकी नज़र आती है ।
आज जाम न भर ऐ साकी,
के इन प्यालों से उनकी याद आती है |
नज़रें बिखर जाती हैं उनकी कहीं,
जब हम सामने नज़र आते हैं,
और एक हम हैं !!!
आँखें ही नी झपकटी, के जब वो याद आते हैं !!!
इंतज़ार नहीं करता मैं अब,
ये तो मेरी तकदीर बनी है ,
लम्हा लम्हा कैसे गुजरता है ??
शराब से नहीं,
साकी से नहीं,
महखाने से पूछो,
के जहाँ उनकी तस्वीर बनी है ।
करके मोहोबत इक बेवफा से ,
तन्हाई मिली है
तन्हाई मिली है..........!!
3 comments:
It is a great composition by Nitesh.
He's really a BROKEN HEART. haha.... pata ni kahan kahan se uske dimaag me aise khayal aate rehte hain...
Anyway...... *****
sahi shayari hai yaar!!
is poore blog ko mai bol bol ke padha.... padhte waqt mujhe lag raha tha ki mein ek bahut bada shaaya hoon........ :)
"bahut khoob!!"
irshaad..irshaad..
*shayar
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