Thursday, June 25, 2009
Yadein Bani Yaadgaar........
खुदा से मांगते हैं तुम्हें हरदम,
ऐ काश के आज मुद्दत हो जाए।
जिंदगी का पल- पल बीता है कैसे,
तमाम यादों के बाद , इक्क यादगार हो जाए..........!!
दुआ मांगते हैं दुनिया वाले,
अपनों के लिए.....
हमनें मांगी मुद्दतें जिंदगीभर,
बेगानों के लिए;
कबूल कर लें तमाम गुनाह अपने,
जो तू सजा देने आ जाए।
तमाम यादों के बाद, इक्क यादगार हो जाए......
मुनासिब ये भी है ,
के जिंदगी शाम हो जाए;
शमा जलती है अक्सर शाम के बाद,
तू चाहे तो ये शाम ,
इक्क जाम हो जाए।
तमाम यादों के बाद, इक्क यादगार हो जाए........
सजाये हैं कितने की खाव मैंने ,
पलकें हैं बेताब,
हकीकत में न सही ,
ज़हन में जो तू आए।
देंगी दुआएं ये पलकें हज़ार,
बंद आंखों में भी जो तू सामने आए।
तमाम यादों के बाद, इक्क यादगार हो जाए.......
यादगार हो जाए.............!!!
Saturday, May 2, 2009
Inteha - A tribute to Jagjit Singh !!
चाहते तो बेपनाह हैं,
कहने से डरते हैं।
गुपचुप बात भी करते हैं,
मगर इकरार करने से डरते हैं।
डरते हैं शराफत से उनकी,
नजाकत से उनकी डरते हैं,
इज़हार तो करें हम मगर,
उनकी जुदाई से डरते हैं........ !!!
समां जो ये बंधा था एक दिन,
अपना न बना सके उन्हें,
मोहोबत भी की थी अथह हमनें,
मगर बता न सके कुछ उन्हें.........
बिछड़ने मिलने का खौफ किसे ??
उनकी बेवाफी से डरते हैं ,
मोहोबत तो करें हम इनतेहा ,
मगर उनकी जुदाई से डरते हैं।
अपना न बना सके उन्हें,
मोहोबत भी की थी अथह हमनें,
मगर बता न सके कुछ उन्हें.........
बिछड़ने मिलने का खौफ किसे ??
उनकी बेवाफी से डरते हैं ,
मोहोबत तो करें हम इनतेहा ,
मगर उनकी जुदाई से डरते हैं।
कुछ तो बात रही होगी,
यों ही बेताबी नहीं छा जाती।
रुतवा जवानी का ढला नहीं अभी ,
फ़िर भी हालात-ऐ-अंजाम से डरते हैं।
इज़हार तो करें हम,
मगर उनकी जुदाई से डरते हैं।
मिलने-मिलाने की रस्मों से नहीं,
उनके सजने संवरने की फिदरत,
खुदगर्ज़ अदाओं से डरते हैं।
मोहोबत तो करें इनतेहा हम,
मगर उनकी जुदाई से डरते हैं..... !!!
उनके सजने संवरने की फिदरत,
खुदगर्ज़ अदाओं से डरते हैं।
मोहोबत तो करें इनतेहा हम,
मगर उनकी जुदाई से डरते हैं..... !!!
देहलीज़ पर खड़े रह गए,
मासूमियत से उनकी हम डरते हैं,
जिंदगी और मौत तो आने जाने हैं,
खौफ क्या होता है,
हम तो उनकी मदभरी आंखों से डरते हैं.........
मोहोबत तो करें इनतेहा हम मगर
उनकी जुदाई से डरते हैं........
उनकी जुदाई से ...................... !!!
Thursday, April 16, 2009
Sandesa unke naam
संदेसा उनके नाम !!
गुनाहगार कहें लोगों से , हमें, वो अगर
कोई गम नहीं।
बेदर्द दिल को खंजर से मारें, खरोंचें वो अगर
कोई गम नहीं।
मोहोब्बत का नाम बेईज्ज़त न करें,
हमें चाहे सूली पर चढा दें वो अगर,
कोई गम नहीं................ !!
इकरार न किया करें वो अगर,
शरमा के नज़रें न झुकाया करें वो अगर,
बेचैन निगाहों में, बहें ना अश्क,
अश्कों में धुली आंखों में आँखें डाल,
दीदार तो करें वो अगर.......... !!
खामोशी बनी मेहरबां,
सूनापन बना मोहताज़,
जज्बात को काबू में रखें तो हम मगर,
वो यादों में मासूमियत दिखाया न करें,,
बेकरारी खत्म करें अब हम,
तरसती निगाहों पर तरस खाएं वो अगर.......... !!!
यादों की दस्तक से हो गया परेशान,
चंद नई यादें बनाने आयें वो अगर,
कहते हैं लोग , लैला और मजनू, नई दास्ताँ लिखें, जो वो गुनगुनाएं तो अगर .............. !!
मर ही गए होते तेरे चाहने वाले,
मर ही गए होते तेरे चाहने वाले...... जो पल्लू सरकता सरकता , कंधे से नीचे , गिरता जो अगर,
फनकार बन गए होते, जहाँ-ऐ-इश्क में, मिलने का मौका दिया होता जो अगर।
अंधेरों मैं भटकने के हम न होते कायल,
बेखुदी वो इक बार समझे होते वो अगर............ !!
Thursday, April 9, 2009
Broken Hearts !
बेवफाई मिली है
महफिलों में रहते थे कभी ,
आज जुदाई मिली है....
मोहोबत करके एक बेवफा से,
बेवफाई मिली है |
गम इस जुदाई का नहीं,
न उनकी रुसवाई का गम है |
काश न मिले होते उन्हें कभी,
के मुझे तन्हाई मिली है|
करके मोहोबत इक बेवफा से,
बेवफाई मिली है |
रातों को जवा होते देखता हूँ,
(गौर फरमायें)
रातों को जवा होते देखता हूँ,
के वो चाँद सी दिखती है !!!!
ज़माना वो भी था,
जब हाथों में हाथ होते थे,
के अब तो मोहोबत के पनघट पे ,
तन्हाई मिलती है |
वकत की मार है,
और कुछ नहीं |
पहले तस्वीर में उनकी ,,,,,,शराब नज़र आती थी......
पहले तस्वीर में उनकी ,शराब नज़र आती थी
अब शराब में, तस्वीर उनकी नज़र आती है ।
आज जाम न भर ऐ साकी,
के इन प्यालों से उनकी याद आती है |
नज़रें बिखर जाती हैं उनकी कहीं,
जब हम सामने नज़र आते हैं,
और एक हम हैं !!!
आँखें ही नी झपकटी, के जब वो याद आते हैं !!!
इंतज़ार नहीं करता मैं अब,
ये तो मेरी तकदीर बनी है ,
लम्हा लम्हा कैसे गुजरता है ??
शराब से नहीं,
साकी से नहीं,
महखाने से पूछो,
के जहाँ उनकी तस्वीर बनी है ।
करके मोहोबत इक बेवफा से ,
तन्हाई मिली है
तन्हाई मिली है..........!!
Monday, February 23, 2009
Guzaarish Muskurahat ki !!
"गुजारिश मुस्कराहट की"
उन लम्हों की यादों में,
हम रातों को जवान बना दें,
चाहत मैं उनकी
हम हर गम को भुला दें.
न वादा न इकरार.......
इक्क बार मुस्कुरा के तो दिखा दें
उनकी हंसीं के लिए हम खुदा को भुला दें !!!
तमन्ना -ऐ-इकरार मचल जाए
अगर वो आने का वादा कर दें....!!
आसमान -ऐ- इश्क में ,
हवाओं का रुख बदल दें ...
बात न सही ,
वादा ही कर दें
उसी के सहारे हम ज़िन्दगी बिता दें !!!
काश के उन्होंने
मुड़कर उस कदर देखा न होता,
वो कातिलाना पल्लू सहराया न होता ,
जो वो जुल्फों को बिखरा दें हम तूफानों को भुला दें !!
उनकी हंसीं के लिए
हम खुदा को भुला दें.................. !!!
कह दे कोई उन्हें
हमें परेशान न किया करें ,,
तनहाइयों का आलम है ,, यादें न बना करें !!
इश्क होता नहीं कर किसी से...
पलक झपककर कभी ,,,
गली की इस नुक्कड़ को भी देखा करें !!
बात न सही,
वादा न सही
खुदा के लिए , मुस्कुराया तो करें............. !!!
खौफ हमें वफ़ा का नहीं ,
इधर तो तनहाइयों का आलम है ...
हाल जो यह दिल का है ॥
कोई बता न दे उन्हें कहीं !!
जिगर से तो न लग सके,,, नज़र से गुम् जाने का आलम है !!!
इधर तो ...............बेवफ़ाइयों का आलम है.......!!!!
मोहल्ले की चौखट से गुजरते गुजरते,
पलकें न झुकाया करें ,
हाल ये दिल का ऐसा न होता
कोई कह दे उन्हें,,,
इस कदर शरमाया न करें,,,,,,,,
उनकी हंसीं के लिए हम खुदा को भुला दें ......
के वो मुस्कुराया तो करें !!! मुस्कुराया तो करें !!!!
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